भगवान गणेश, माता पारवती और भगवान शिवजी के पुत्र हैं। गणेश चतुर्थी पर गणेश, शिवजी और पारवती जी की पूजा बड़ी ही धूमधाम से की जाती है। भारत में गणेश चतुर्थी को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार कार्यालय हो या स्कूल-कॉलेज हर जगह पर मनाया जाता है।
इस दिन सभी कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों को बंद करके भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। बहुत से लोग घरों में श्री गणेश जी की पूजा करते हैं। इस दिन पर सभी भक्त गणेश जी की आरती गाते हैं और भगवान को भोग के रूप में मोदक चढाते हैं। मोदक गणेश जी की बहुत ही पसंदीदा मिठाई है।
इस दिन को सबसे भव्य और बड़े तौर पर भारत के महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस त्यौहार को इसलिए धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि बहुत सालों पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसकी शुरुआत की थी। गणेश चतुर्थी को सबसे अधिक और जबर्दस्त तरीके से महाराष्ट्र और भारत के सभी हिन्दुओं में मनाया जाता है।
गणेश जी के नाम : गणेश जी के मुख्य रूप से 12 नाम हैं। उनके 12 नामों का वर्णन नारद पुराण में मिलता है। गणेश जी को मुख्य रूप से सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन आदि नामों से भी पुकारा जाता है।
गणेश जी की पूजाविधि : सुबह-सुबह सबसे पहले नहा-धोकर लाल वस्र पहने जाते हैं क्योंकि लाल वस्त्र भगवान गणेश जी को अधिक प्रिय लगते हैं। पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में रखा जाता है। सबसे पहले पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है।
पंचामृत में सबसे पहले दूध से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है उसके बाद दही से, फिर घी से, शहद से और अंत में गंगा जल से अभिषेक किया जाता है। गणेश जी पर रोली और कलावा चढाया जाता है। सिंदूर गणेश जी को बहुत अधिक प्रिय होता है इसलिए उनको सिंदूर चढाया जाता है।
रिद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी और पान चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद फल, पीला कनेर और दूब फूल चढाया जाता है। उसके बाद उनकी मनपसन्द मिठाई मोदक को भोग स्वरूप चढाया जाता है। भोग चढ़ने के बाद सभी परिवारजनों द्वारा मिलकर गणेश जी की आरती गाई जाती है। श्री गणेश जी के 12 नामों का और उनके मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
शिवजी ने गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि जब भी पृथ्वी पर किसी भी नए और अच्छे कार्य की शुरुआत की जाएगी तो वहाँ पर सबसे पहले गणेश जी का नाम लिया जायेगा और गणेश जी की आराधना करने वाले व्यक्ति के सभी दुःख दूर हो जाएंगे। इसी वजह से हम भारतीय जब कुछ भी अच्छा और नया शुरू करने जैसे – विवाह , नए व्यापर की शुरुआत , नया घर प्रवेश , शिशु के पहली बार स्कूल जाने से पहले गणेश जी की पूजा करते हैं। पूजा करते समय सुख-शांति की कामना करते हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे भी एक कथा जुडी हुई है इस कथा के अनुसार एक बार चन्द्रमा ने भगवान गणेश जी के मोटे पेट पर मजाक उड़ाया था जिस पर क्रोधित होकर गणेश जी ने चन्द्रमा को श्राप दे दिया था।
जिसके परिणाम स्वरूप चन्द्रमा काला पड़ गया और जो भी चन्द्रमा को देखेगा उस पर चोरी का आरोप लगेगा। इस बात को सुनकर चन्द्रमा भयभीत हो गया और गणेश जी से श्राप से मुक्ति के लिए आराधना करने लगा। गणेश जी चन्द्रमा की आराधना से खुश हो गए और उन्होंने चन्द्रमा को श्राप से मुक्त कर दिया सिवाय भादवा मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन के। इसी लिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी चाँद को देखता है वह कलंक का भागीदारी बनता है।
उपसंहार : गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान को अपने घर में प्रवेश कराकर घर की सभी समस्याओं और कष्टों को दूर किया जाता है। गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र राज्य के लोगों का सबसे अधिक पसंदीदा और प्रमुख त्यौहार होता है। यह दिन बहुत ही पवित्र होता है इस लिए इस त्यौहार को बड़े-बड़े अभिनेताओं द्वारा भी मनाया जाता है।
उनके व्यक्तित्व में हाथी के गुणों की प्रतिष्ठा की गई है। हाथी में बुद्धि , बल और धैर्य होता है इसलिए गणेशजी की पूजा बल , बुद्धि और धैर्य से संपन्न देवता की पूजा होती है। गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर हमें उनसे इन्हीं गुणों को धारण करना चाहिए।