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भारत कितना भी दान करदे मछुआरोको को मछली पकड़ने  की अनुमति नहीं देगें श्रीलंका Local Hindi

भारत कितना भी दान करदे मछुआरोको को मछली पकड़ने की अनुमति नहीं देगें श्रीलंका Local Hindi

 

भारत कितना भी दान करदे मछुआरोको को मछली पकड़ने  की अनुमति नहीं देगें श्रीलंका 

भारत कितना भी दान करदे मछुआरोको को मछली पकड़ने  की अनुमति नहीं देगें श्रीलंका Local Hindi


चीनी जासूसी जहाज को मंजूरी देने वाले श्रीलंका के एक मंत्री ने भारतीय मछुआरों के बारे में एक जहरीला बयान दिया है।  श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवेंद्र ने कहा है कि वह भारत को खाद्यान्न दान करने के बदले में भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई जल में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं देंगे।  उन्होंने कहा कि वे भारत को श्रीलंका के समुद्री संसाधनों का दोहन नहीं करने देंगे।  श्रीलंका के मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और श्रीलंका के बीच चीनी जासूसी जहाज को लेकर तनाव बना हुआ है।

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 श्रीलंकाई मछुआरों का दावा है कि भारतीय मछुआरे बट्टलंकागुंडुवा द्वीप पर उनके पानी का लगातार अतिक्रमण कर रहे हैं और श्रीलंकाई मछलियों को ले जा रहे हैं।  मछली पकड़ने को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से आमना-सामना चल रहा है।  पाक जलडमरूमध्य क्षेत्र में भारतीय मछुआरों और श्रीलंकाई मछुआरों के बीच अक्सर विवाद होते रहते हैं।  श्रीलंकाई मछुआरों का कहना है कि तमिलनाडु के मछुआरे अपने इलाके से मछलियां पकड़ते हैं।

 

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श्रीलंकाई हमले का तमिलनाडु के मछुआरों ने कड़ा विरोध किया था।  तमिलनाडु ने बार-बार आरोप लगाया है कि श्रीलंकाई नौसेना पाक जलडमरूमध्य में अपने मछुआरों पर हमला कर रही है या उनकी हत्या कर रही है।  पिछले साल तीन भारतीय मछुआरे मारे गए थे।  श्रीलंकाई अधिकारियों ने आरोप से इनकार किया।  भारत सरकार ने इन हत्याओं का कड़ा विरोध किया।  श्रीलंकाई सरकार ने न तो हत्याओं की जांच की और न ही कोई रिपोर्ट जारी की।

 

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भारत ने श्रीलंका के गरीब लोगों और सरकार की मदद के लिए 4 अरब डॉलर का योगदान दिया है।  इतना ही नहीं, भारत सरकार श्रीलंका को आईएमएफ से कर्ज दिलाने में भी मदद कर रही है।  दूसरी ओर श्रीलंका सरकार लगातार भारत विरोधी कदम उठा रही है।  पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश से भागने से पहले एक चीनी जासूसी जहाज को हंबनटोटा में उतरने की अनुमति दी थी।  इतना ही नहीं जब भारत ने इस पर आपत्ति की तो उसने पहले तो इनकार किया लेकिन फिर दबाव बढ़ा दिया और चीन से इसे टालने को कहा।  हालांकि चीन ने अभी तक उनकी बात नहीं मानी है।

 

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